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Er. Shashank Gupta

Professional Environmentalist

Founder and CEO of Houseplants. Houseplants, A Company of Intelligent Plants and Environmental Conservation Organization. In Houseplants, we work on Air Quality Purification Naturally and Organic Food Production, indoor-outdoor both for the Better Nutrition for Humanity.

The idea of establishing this company came on the date of 27 December 2016. When Er. Shashank Gupta saw the level of Pollution after the Deepavali Festival can't go down in Delhi the capital of India.

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अफगानिस्तान पर मंडराता भय

 

अफगानिस्तान पर मंडराता भय
अफगानिस्तान पर मंडराता भय

यमन की महिला फोटोग्राफर बुशरा अलमत्वकल की प्रस्तुति। अफगानिस्तान पर मंडराता भय चित्रों के क्रम पर ध्यान दीजिए..

लेमनग्रास

लेमनग्रास
लेमनग्रास
लेमनग्रास
लेमन ग्रास एक ऐसा हर्ब है जिसमें मौजूद नींबू की खुशबू के कारण इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है।
लेमन ग्रास को आमतौर पर चाय में डालकर इस्‍तेमाल किया जाता है लेकिन पश्चिम भारत में व्यंजनों में और विभिन्न प्रोडक्ट को बनाने में भी इस हर्ब का इस्‍तेमाल किया जाता है
ये जादुई हर्ब कई बीमारियों को दूर करने में हेल्प करता है।
नींबू की सुगंध लिये लेमन ग्रास में जबरदस्त औषधीय गुण होते हैं। यह  विटामिन ए और सी, फोलेट, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, जिंक, पोटैशियम, फास्फोररस, कैल्शि्यम और मैगनीज़ से भरपूर होती है।
लेमन ग्रास टी स्वास्थ्य के लिये लाभकारी मानी गई है। यह एंटीबैक्टीसरियल, एंटीफंगल, एंटी-कैंसर, एंटीडिप्रेसेंट गुणों से भरपूर होती है। ताजी सूखी लेमन ग्रास आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगी।
 

लेमन ग्रास के लाभ
 

एनीमिया दूर करें
लेमनग्रास आयरन से भरपूर होने के कारण, यह उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होती है जो आयरन की कमी से जूझ रही है। साथ ही यह एनीमिया के विभिन्न प्रकार में उपयोगी होता है। हमारी बॉडी में आयरन हीमोग्लोबिन (पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार रेड सेल्‍स में प्रोटीन) का संश्लेषण करने के लिए आवश्यक होता है।
 

पेट संबंधी समस्या का रामबाण उपाय
लेमन ग्रास में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पेट संबंधी बीमारियों से बचाते है। जी हां यह फ्री रेडिकल को अपने में लेकर स्थिर कर देता है। जिससे अपच, कब्ज, दस्त, पेट की सूजन, पेट फूलना, पेट में ऐंठन, उल्टी आदि पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक है
 

बुखार, कफ और सर्दी में फायदेमंद
इसे चाय के साथ लेना चाहिए, क्योंकि यह बुखार, कफ और सर्दी में फायदा करता है। इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है, इसलिए यह बॉडी के कुछ मूलभूत तत्वों को बैलेंस करता है। ताजे या सूखे दोनों तरह के लेमन ग्रास का प्रयोग किया जा सकता है। इसका तना हरी प्याज की तरह होता है। जब इसे टुकड़ों में काटा जता है, तब इसकी खट्टी सुगंध फैलती है। इसका फ्लेवर नींबू की तरह होता है। लेमन ग्रास की जगह इसकी छाल का भी प्रयोग किया जा सकता है, पर उसकी सुगंध उतनी ताजी नहीं रहती।
 

बच्चों  की एडीएचडी समस्या फायदेमंद
1998 में हुए एक अध्यसयन के अनुसार, एडीएचडी से पी‍डि़त बच्चों को नींद आसानी से नहीं आती। ऐसे बच्चों के लिए लेमन ग्रास से बनी हर्बल टी काफी फायदेमंद होती है। इसमें मौजूद पुदीना, कैमोमाइल या लेमन ग्रास और अन्य ऐसे ही कई हर्ब मसल्स को शांत करने में हेल्प करते हैं।
 

अदभुत एंटीऑक्सीडेंट
इसमें अद्भुत एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते है। जिसके कारण मानव शरीर में कई गंभीर रोगों के लिए जिम्मेदार अणुओं के स्वरूप में परिवर्तन लाकर उन्हें न सिर्फ स्थिर किया जाता है बल्कि कुछ मामलों में यह बैक्‍टीरिया को अपने में समाहित भी कर लेती है।
 

एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी-सेप्टिक गुणों से भरपूर
एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी सेप्टिक गुणों के कारण, लेमनग्रास अर्थराइटिस, गाउट और सूजन के इलाज के लिए बहुत ही मूल्यवान औषधि है।
इसलिए अगर आप इन समस्याएं परेशान रहती हैं तो रोजाना लेमन ग्रास के जूस या इससे बनी हर्बल चाय का सेवन करें।
 

बॉडी डिटॉक्‍स करें
लेमनग्रास में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और मूत्रवर्धक गुणों के कारण यह बॉडी को डिटॉक्स करने वाला बहुत ही अच्छा हर्ब है। यह लीवर, किडनी, ब्लैडर और अग्नाशय को साफ करने और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करता है। और मूत्रवर्धक प्रभाव के कारण यह टॉक्सिन को बाहर ले जाने में मदद करता है।
 

दिमाग तेज करें
 मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और फोलेट नर्वस सिस्टम की हेल्दी तरीके से काम करने वाला आवश्यक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। वे एकाग्रता, स्मृति और ब्रेन की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है।
 

थकान दूर करने में
एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेंटरी, एंटी-सेप्टिक और विटामिन सी जैसे औषधीय गुणों से भरपूर लेमनग्रास कई रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। यह बॉडी को डिटॉक्स करने, दर्द दूर करने, खांसी जुकाम और थकावट व तनाव को दूर करने में आपकी मदद करती है।
 

मच्छर से बचाव
इसका पौधा कमरे में रखने से मच्छरों से बचाव रहता है और कमरे का वातावरण प्रदूषण मुक्त रहता है ,हवा की गुणवत्ता में सुधार रहता है
इसलिए आपसे प्रार्थना है कि इसको अपनी बागवानी में स्थान जरूर दें।

ईश्वर ने यू ही गरीब, अमीर और भिखमंगे नहीं बनाये है..

बाबा "कांता प्रसाद"

कुछ लोगों को कामयाबी नहीं पचती, ईश्वर ने यू ही गरीब, अमीर और भिखमंगे नहीं बनाये है।

बाबा के ढाबे से शुरू हुई कहानी रेस्टोरेंट तक पहुंची और वापस 2 महीने में ढाबे पर आ गई। बाबा "कांता प्रसाद" अब माफ़ी मांग रहे हैं। उन्होंने बताया की रेस्ट्रोरेंट चलाने का खर्च 1 लाख के आस पास था और सेल 40 हजार की थी।

जीवन में अगर कभी कोई मदद करे तो अहंकार में उसे अपनी कामयाबी मत समझ लेना, क्योंकि अगर कामयाबी तुम्हारी होती तो तुम्हें उस इंसान की मदद की जरूरत ही न पड़ती।

सात जन्मों के साथ का रहस्य - गुणसूत्र वंशकावाहक

गुणसूत्र वंशकावाहक
गुणसूत्र वंशकावाहक
गुणसूत्र वंशकावाहक
 
यदि कोई प्रश्न आये तो आगे और खोज करें, कुतर्क नहीं। धैर्यपूर्वक पूरा पढें।
हमारे धार्मिक ग्रंथ और हमारी सनातन हिन्दू परंपरा के अनुसार पुत्र (बेटा) को कुलदीपक अथवा वंश को आगे बढ़ाने वाला माना जाता है अर्थात उसे गोत्र का वाहक माना जाता है।

क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों होता है कि सिर्फ पुत्र को ही वंश का वाहक माना जाता है ?
असल में इसका कारण पुरुष प्रधान समाज अथवा पितृसत्तात्मक व्यवस्था नहीं बल्कि, हमारे जन्म लेने की प्रक्रिया है।

अगर हम जन्म लेने की प्रक्रिया को सूक्ष्म रूप से देखेंगे तो हम पाते हैं कि, एक स्त्री में गुणसूत्र (Chromosomes) XX होते है और पुरुष में XY होते है।

इसका मतलब यह हुआ कि अगर पुत्र हुआ (जिसमें XY गुणसूत्र है) तो उस पुत्र में Y गुणसूत्र पिता से ही आएगा क्योंकि माता में तो Y गुणसूत्र होता ही नही है और यदि पुत्री हुई तो (XX गुणसूत्र) तो यह गुणसूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते है।

XX गुणसूत्र अर्थात पुत्री

अब इस XX गुणसूत्र के जोड़े में एक X गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा X गुणसूत्र माता से आता है तथा इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है जिसे Crossover कहा जाता है।

जबकि पुत्र में XY गुणसूत्र होता है अर्थात जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि पुत्र में Y गुणसूत्र केवल पिता से ही आना संभव है क्योंकि माता में Y गुणसूत्र होता ही नहीं है और दोनों गुणसूत्र अ-समान होने के कारण इन दोनों गुणसूत्र का पूर्ण Crossover नहीं बल्कि, केवल 5 % तक ही Crossover होता है और 95 % Y गुणसूत्र ज्यों का त्यों (intact) ही बना रहता है।

तो इस लिहाज से महत्त्वपूर्ण Y गुणसूत्र हुआ क्योंकि Y गुणसूत्र के विषय में हम निश्चिंत है कि यह पुत्र में केवल पिता से ही आया है।

बस इसी Y गुणसूत्र का पता लगाना ही गौत्र प्रणाली का एकमात्र उदेश्य है जो हजारों/लाखों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों ने जान लिया था।

इस तरह ये बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारी वैदिक गोत्र प्रणाली, गुणसूत्र पर आधारित है अथवा Y गुणसूत्र को ट्रेस करने का एक माध्यम है।

उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का गोत्र शांडिल्य है तो उस व्यक्ति में विद्यमान Y गुणसूत्र शांडिल्य ऋषि से आया है या कहें कि शांडिल्य ऋषि उस Y गुणसूत्र के मूल हैं।

अब चूँकि Y गुणसूत्र स्त्रियों में नहीं होता है इसीलिए विवाह के पश्चात स्त्रियों को उसके पति के गोत्र से जोड़ दिया जाता है।

वैदिक/ हिन्दू संस्कृति में एक ही गोत्र में विवाह वर्जित होने का मुख्य कारण यह है कि एक ही गोत्र से होने के कारण वह पुरुष व् स्त्री भाई-बहन कहलाए क्योंकि उनका पूर्वज (ओरिजिन) एक ही है क्योंकि, एक ही गोत्र होने के कारण दोनों के गुणसूत्रों में समानता होगी।

आज की आनुवंशिक विज्ञान के अनुसार भी यदि सामान गुणसूत्रों वाले दो व्यक्तियों में विवाह हो तो उनके संतान आनुवंशिक विकारों का साथ उत्पन्न होगी क्योंकि ऐसे दंपत्तियों की संतान में एक सी विचारधारा, पसंद, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता एवं ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है।

विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि सगौत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपत्ति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात् मानसिक विकलांगता, अपंगता, गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं।
 
शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगौत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था। यही कारण था कि शारीरिक बिषमता के कारण अग्रेज राज परिवार में आपसी विवाह बन्द हुए। जैसा कि हम जानते हैं कि पुत्री में 50% गुणसूत्र माता का और 50% पिता से आता है। फिर यदि पुत्री की भी पुत्री हुई तो वह डीएनए 50% का 50% रह जायेगा और फिर यदि उसके भी पुत्री हुई तो उस 25% का 50% डीएनए रह जायेगा।

इस तरह से सातवीं पीढ़ी में पुत्री जन्म में यह % घटकर 1% रह जायेगा अर्थात एक पति-पत्नी का ही डीएनए सातवीं पीढ़ी तक पुनः पुनः जन्म लेता रहता है और यही है "सात जन्मों के साथ का रहस्य".

लेकिन यदि संतान पुत्र है तो पुत्र का गुणसूत्र पिता के गुणसूत्रों का 95% गुणों को अनुवांशिकी में ग्रहण करता है और माता का 5% (जो कि किन्हीं परिस्थितियों में एक % से कम भी हो सकता है) डीएनए ग्रहण करता है और यही क्रम अनवरत चलता रहता है। जिस कारण पति और पत्नी के गुणों युक्त डीएनए बारम्बार जन्म लेते रहते हैं अर्थात यह जन्म जन्मांतर का साथ हो जाता है।

इन सब में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि माता पिता यदि कन्यादान करते हैं तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वे कन्या को कोई वस्तु समकक्ष समझते हैं बल्कि, इस दान का विधान इस निमित किया गया है कि दूसरे कुल की कुलवधू बनने के लिये और उस कुल की कुल धात्री बनने के लिये, उसे गोत्र मुक्त होना चाहिए।

पुत्रियां आजीवन डीएनए मुक्त हो नहीं सकती क्योंकि उसके भौतिक शरीर में वे डीएनए रहेंगे ही, इसलिये मायका अर्थात माता का रिश्ता बना रहता है। शायद यही कारण है कि विवाह के पश्चात लड़कियों के पिता को घर को ""मायका"" ही कहा जाता है "'पिताका"" नहीं। क्योंकि उसने अपने जन्म वाले गोत्र अर्थात पिता के गोत्र का त्याग कर दिया है और चूंकि कन्या विवाह के बाद कुल वंश के लिये रज का दान कर मातृत्व को प्राप्त करती है इसीलिए हर विवाहित स्त्री माता समान पूजनीय हो जाती है।

आश्चर्य की बात है कि हमारी ये परंपराएं हजारों-लाखों साल से चल रही है जिसका सीधा सा मतलब है कि हजारों लाखों साल पहले जब पश्चिमी देशों के लोग नंग-धड़ंग जंगलों में रह रहा करते थे और चूहा ,बिल्ली, कुत्ता वगैरह मारकर खाया करते थे।

उस समय भी हमारे पूर्वज ऋषि मुनि इंसानी शरीर में गुणसूत्र के विभक्तिकरण को समझ गए थे और हमें गोत्र सिस्टम में बांध लिया था।

इस बातों से एक बार फिर ये स्थापित होता है कि हमारा सनातन हिन्दू धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक है बस हमें ही इस बात का भान नहीं है।
 
असल में अंग्रेजों ने जो हमलोगों के मन में जो कुंठा बोई है उससे बाहर आकर हमें अपने पुरातन विज्ञान को फिर से समझकर उसे अपनी नई पीढियों को बताने और समझाने की जरूरत है।

नोट : मैं पुत्र और पुत्री अथवा स्त्री और पुरुष में कोई विभेद नहीं करता और मैं उनके बराबर के अधिकार का पुरजोर समर्थन करता हूँ।

लेख का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ गोत्र परंपरा एवं सात जन्मों के रहस्य को समझाना मात्र है।

पेड़ों का महत्व क्या है?

पेड़ों का महत्व
पेड़ों का महत्व
पेड़ों का महत्व क्या है ये चिलचिलाती धूप में अहसास होता है
पिछले दिनों अस्पतालों के चक्कर लगाते समय एक अस्पताल में इस विशाल पाखड़ के पेड़ के नीचे शरण ली।
यकीन मानिए दोपहर के 2 बजे भी इसके नीचे ऐसा लग रहा था कि जैसे शाम के 7 बजे किसी AC लॉबी में बैठे हों।
पेड़ किस क़दर विशाल है इसका अनुमान इसके नीचे खड़े लोगों के शरीर के आकार से सहज ही लगाया जा सकता है
धन्य हैं अस्पताल के वो अधिकारीगण जिन्होंने इसे छतरीनुमा शेप देकर प्रकृति प्रेम को जीवित रखा हुआ है

भारत पाकिस्तान युद्ध और शास्त्री जी

भारत पाकिस्तान युद्ध और शास्त्री जी
भारत पाकिस्तान युद्ध और शास्त्री जी
 

दो घंटे युद्ध और चलता तो भारत की सेना लाहौर पर कब्जा कर लिया होता ! लेकिन तभी पाकिस्तान को लगा की जिस रफ्तार से भारतीय सेना आगे बढ रही है, हमारा तो पुरा अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा !

(भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध, भारत पाकिस्तान युद्ध का भाग -- तिथि- अगस्त सितम्बर 1965 - स्थान भारतीय उपमहाद्वीप
परिणाम- संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र के द्वारा युद्ध विराम)
तभी पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा की वो किसी तरह से युद्ध रुकवा दे !
अमेरिका जानता था की शास्त्री जी इतनी जल्दी नही मानने वाले, क्युंकि वो पहले भी दो तीन बार भारत को धमका चुका था !
धमका कैसे चुका था ??
अमेरिका से गेहुं आता था भारत के लिए PL 48 स्किम के अंडर ! PL 48 का मतलब -- Public Law 48 - जैसे भारत मे संविधान मे धाराएं होती है ऐसे ही अमेरिका मे PL होता है ! तो बिल्कुल लाल रंग का सडा हुआ गेहुं अमेरिका से भारत आता था !
और ये समझौता नेहरु ने किया था !
जिस गेहुं को अमेरिका मे जानवर भी नही खाते थे, उसे भारत के लोगो के लिए आयात करवाया जाता था ! आपके घर मे कोई बुजुर्ग हो तो आप उनसे पुछ सकते है ! - कितना घटिया होता था वो
तो अमेरिका ने भारत को धमकी दी की हम भारत को गेहुं देना बंद कर देंगे !
तो शास्त्री जी ने कहा....हां बंद कर दो, फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का बयान आया कि अगर भारत को गेहुं देना बंद कर दिया तो भारत के लोग भुखे मर जायेंगे !
शास्त्री जी ने कहा की हम बिना गेहुं के भुखे मरे,
या अधिक खा के मरे, तुम्हे क्या तकलिफ है ??
हमे भुखे मरना पसंद होगा बशर्ते तुम्हारे देश का सडा हुआ गेहुं खा के ! एक तो हम पैसे भी पुरे दे, और उपर से सडा हुआ गेहुं खाये, नही चाहिए तुम्हारा गेहुं !
फिर शास्त्री जी ने दिल्ली मे एक रामलिला मैदान मे लाखो लोगो निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है, ऐसे हालातो मे देश को पैसो की जरुरत पडती है, सबलोग अपने फालतु खर्चे बंद करें ताकी वो domestic saving से देश को काम आये, या आप सीधे सेना के लिए दान दें !
और हर व्यक्ति सप्ताह मे एक दिन सोमवार का व्रत जरुर रखे ! तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखों लोगों ने सोमवार को व्रत रखना शुरु कर दिया था !
हुआ ये कि हमारे देश मे ही गेहुं बढने लगा, और शास्त्री जी भी सोमवार का व्रत रखा करते थे ! शास्त्री जी ने जो लोगो से कहा, पहले उसका पालन खुद किया !
उनके घर मे काम वाली बाई आती थी, जो साफ सफाई और कपडे धोती थी, तो शास्त्री जी ने उसको हटा दिया, और बोले की देश हित को ध्यान मे रखते हुए मै अपने उपर इतना खर्चा नही कर सकता, मै खुद ही घर की सारी सफाई करुंगा ! क्युंकि उनकी पत्नी ललिता देवी बीमार रहा करती थी !
और शास्त्री जी अपने कपडे भी खुद धोते थे, उनके पास सिर्फ दो जोडी धोती कुर्ता ही थी !
उनके घर मे एक ट्यूटर भी आया करता था, उनके बच्चो को अंग्रेजी पढाया करता था ! तो शास्त्री जी ने उसे भी हटा दिया, तो उसने शास्त्री जी से कहा कि आपका बच्चा अंग्रेजी मे फेल हो जायेगा !
तब शास्त्री जी ने उससे कहा कि होने दो, देश के हजारो बच्चे अंग्रेजी मे ही फेल होते है, तो भारतीय अंग्रेजी मे फेल हो सकते है ये तो स्वाभाविक है, क्युंकि अपनी भाषा ही नही है ये !
एक दिन शास्त्री जी की पत्नी ने कहा कि आपकी धोती फट गई है, आप नई धोती ले आईये ! शास्त्री जी ने कहा बेहतर होगा की सुई धागा लेकर तुम इसको सिल दो, मै नई धोती लाने की कल्पना भी नही कर सकता ! मैने सबकुछ छोड दिया है, पगार लेना भी बंद कर दिया है, और जितना हो सके कम से कम मे घर का खर्च चलाओ !
अंत मे शास्त्री जी युद्ध के बाद समझौता करने ताशकंद गए, और फिर जिन्दा कभी वापस नही लौट पाये ! पुरे देश को बताया गया कि उनकी मृत्यु हो गई, जबकी उनकी हत्या की गई थी !
भारत मे शास्त्री जी जैसा सिर्फ एक मात्र प्रधानमंत्री हुआ जिसने अपना पुरा जीवन आम आदमी की तरह व्यतीत किया और पुरी निष्ठा से राष्ट्र के लिए अपना फर्ज अदा किया !
जिसने जय जवान जय किसान का नारा दिया !
क्योंकि उनका मानना था की देश के लिए अनाज पैदा करने वाला किसान और सीमा पर रक्षा करने वाला जवान दोनो देश के लिए सबसे ज्यादा महत्वपुर्ण है !
स्वदेशी की राह पर उन्होने देश को आगे बढाया, विदेशी कम्पनियों को उन्होने देश मे घुसने नही दिया ! अमेरिका का सडा गेहुं बंद करवाया !
ऐसा प्रधानमंत्री भारत को शायद ही कभी मिले ! अंत मे जब उनका Pass Book चेक कि गई तो सिर्फ 365 रुपये 35 पैसे थे उनके बैंक अकाउंट मे !
शायद आज कल्पना भी नहीं कर सकते की ऐसा नेता भारत में हुआ !
मेरे आदर्श लालबहादुर शास्त्री जी को शत शत नमन !

विनायक दामोदर सावरकर

 

विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर

जिन्नाह को महान बताने वाले और सावरकर पर प्रश्न खड़ा करने वालो के लिये।

(भ्रम का निवारण)
हमारे देश में एक विशेष जमात यह राग अलाप रही है कि जिन्नाह अंग्रेजों से लड़े थे इसलिए महान थे। जबकि वीर सावरकर गद्दार थे क्यूंकि उन्होंने अंग्रेजों से क्षमा मांगी थी। वैसे इन लोगों को यह नहीं पता कि जिन्नाह इस्लाम की मान्यताओं के विरुद्ध सारे कर्म करते थे। जैसे सूअर का मांस खाना, शराब पीना, सिगार पीना आदि। वो न तो पांच वक्त के नमाजी थे। न ही हाजी थे। न ही दाढ़ी और टोपी में यकीन रखते थे। जबकि वीर सावरकर। उनका तो सारा जीवन ही राष्ट्र को समर्पित था। पहले सावरकर को जान तो लीजिये।
 
वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई है.?
 
वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ
 
विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी
 
वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने पत्र केसरी में उनको छत्रपति शिवाजी महाराज के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र 'इन्डियन ओपीनियन' में गाँधी ने निंदा की थी।
 
 सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस प्रथम घटना के 16 वर्ष बाद गाँधी उनके मार्ग पर चले और 11 जुलाई 1921 को मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया
 
सावरकर पहले भारतीय थे जिनको 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्म्युसन कॉलेज से निकाल दिया गया और दस रूपये जुर्माना लगाया। इसके विरोध में हड़ताल हुई, स्वयं तिलक जी ने 'केसरी' पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा।
 
वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली। इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया।
 
वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा गद्दार कहे जाने वाले संघर्ष को '1857 का स्वातंत्र्य समर' नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया।
 
सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे '1857 का स्वातंत्र्य समर' पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था।
 
'1857 का स्वातंत्र्य समर' विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी। भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी। पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी।
 
वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे।
 
सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका केस अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नही मिला और बंदीबनाकर भारत लाया गया।
 
वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी।
 
सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले- "चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया."
 
वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सजा के समय 10 साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पौंड तेल प्रतिदिन निकाला।
 
वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकड़ और कोयले से कवितायें लिखी और 6000 पंक्तियाँ याद रखी।
 
वीर सावरकर पहले देशभक्त लेखक थे, जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध लगा रहा।
 
आधुनिक इतिहास के वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-'आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः.'अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है
 
वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया। देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारोंसे डर लगता था।
 
वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी थे जब उनका 26 फरवरी 1966 को उनका स्वर्गारोहण हुआ तब भारतीय संसद में कुछ सांसदों ने शोक प्रस्ताव रखा तो यह कहकर रोक दिया गया कि वे संसद सदस्य नही थे जबकि चर्चिल की मौत पर शोक मनाया गया था।
 
वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त स्वातंत्र्य वीर थे जिनके मरणोपरांत 26 फरवरी 2003 को उसी संसद में मूर्ति लगी जिसमे कभी उनके निधनपर शोक प्रस्ताव भी रोका गया था।
 
वीर सावरकर पहले ऐसे राष्ट्रभक्त हुए जिनके शिलालेख को अंडमान द्वीप की सेल्युलर जेल के कीर्ति स्तम्भ से UPA सरकार के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हटवा दिया था और उसकी जगह गांधी का शिलालेख लगवा दिया। वीर सावरकर ने दस साल आजादी के लिए काला पानी में कोल्हू चलाया था।

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